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मार्च, 1954 में पॉल एच. एप्पलबाय की सिफारिशों में से एक पर अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में मंत्रिमंडल सचिवालय में संगठन एवं पद्धति (ओ.एंड एम.) प्रभाग बनाया गया था । मार्च, 1964 में गृह मंत्रालय के अधीन प्रशासनिक सुधार विभाग बनाया गया और संगठन एवं पद्धति (ओ एंड एम) प्रभाग का कार्यभार मंत्रिमंडल सचिवालय से प्रशासनिक सुधार विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया । दिनांक 7 फरवरी, 1973 को प्रशासनिक सुधार से संबंधित कार्य को मंत्रिमंडल सचिवालय के अधीन दिनांक 1 अगस्त, 1970 को बनाए गए कार्मिक विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया और कार्मिक तथा प्रशासनिक सुधार के रूप में इसे पुनर्नामित किया गया । अप्रैल, 1977 में कार्मिक तथा प्रशासनिक सुधार विभाग को मंत्रिमंडल सचिवालय से गृह मंत्रालय में स्थानांतरित किया गया । मार्च, 1985 में कार्मिक तथा प्रशिक्षण, प्रशासनिक सुधार, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के रूप में पूर्ण मंत्रालय बना दिया गया । 10 दिसम्बर, 1985 को कार्मिक तथा प्रशिक्षण, प्रशासनिक सुधार, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय को तीन विभागों नामत: कार्मिक तथा प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग और पेंशन तथा पेंशनभोगी कल्याण विभाग सहित कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय के रूप में पुनर्नामित किया गया । इस मंत्रालय का पूरा कार्यभार राज्यमंत्री के सहयोग से प्रधानमंत्री पर है ।